धान की खेती के साथ मछली पालन कैसे करें (धान-मछली खेती)
- Rajat Kumar
- 16 minutes ago
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धान की खेती भारत में सबसे महत्वपूर्ण कृषि कार्यों में से एक है। लेकिन किसान धान की पैदावार के साथ मछली पालन करके अपनी आमदनी बढ़ा भी सकते हैं।
धान के खेत में मछली पालन एक पारंपरिक तरीका है, जिसे एकीकृत मत्स्य-पालन या धान-मछली खेती के नाम से जाना जाता है। यह खेती करने का एक स्मार्ट तरीका है, जिससे किसानों को कई फायदे मिलते हैं।
आज हम इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि धान की खेती के साथ मछली पालन कैसे किया जा सकता है और इससे किसानों को क्या लाभ मिलते हैं।
धान-मछली खेती के फायदे
धान-मछली खेती पारंपरिक धान की खेती से निम्नलिखित मायनों में बेहतर है:
आय में वृद्धि: धान के साथ-साथ मछली पालन करने से किसानों को अतिरिक्त आय का एक जरिया मिल जाता है। फसल कटने के बाद खेत से ताजा और स्वस्थ मछली का उत्पादन भी हो जाता है।
धान की अच्छी पैदावार: मछली पालन से खेत में उपजाऊ मिट्टी बनती है। मछली के मलमूत्र से खेत को प्राकृतिक खाद मिलता है, जिससे धान की अच्छी पैदावार होती है। साथ ही, मछलियां खेत में मौजूद कुछ कीड़े-मकोड़ों को खाकर फसल को नुकसान पहुंचने से बचाती हैं।
पानी का बेहतर उपयोग: धान की खेती में खेत में पानी की जरूरत होती है। इसी पानी का उपयोग मछली पालन के लिए भी किया जा सकता है। इससे पानी की बचत होती है।
जमीन का सदुपयोग: धान की खेती के लिए तैयार किया गया खेत ही मछली पालन के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है। इससे जमीन का बेहतर उपयोग होता है।
धान-मछली खेती के लिए उपयुक्त मौसम
भारत के विभिन्न क्षेत्रों में धान की खेती का समय अलग-अलग होता है। आमतौर पर खरीफ सीजन में जून से सितंबर के बीच धान की बुवाई की जाती है। इसी समय धान-मछली खेती भी शुरू की जा सकती है।
धान-मछली खेती करने की विधि
धान-मछली खेती करने के लिए निम्नलिखित स्टेप्स को फॉलो किया जा सकता है:
खेत का चयन: सबसे पहले धान-मछली खेती के लिए उपयुक्त खेत का चयन करें। खेत समतल होना चाहिए और उसमें पानी रोकने की क्षमता होनी चाहिए। साथ ही, खेत में पेड़-पौधे या गड्ढे नहीं होने चाहिए।
खेत की तैयारी: खेत की मिट्टी को अच्छी तरह से जोताई कर दें। इसके बाद, खेत में मेड़ बनाएं। मेड़ की मोटाई लगभग 50-60 सेंटीमीटर होनी चाहिए और ऊंचाई 30-40 सेंटीमीटर के करीब रखें। मेड़ मजबूत होनी चाहिए ताकि खेत में पानी भराने के बाद रिसाव न हो।
जल प्रबंधन: धान-मछली खेती के लिए जल प्रबंधन बहुत जरूरी है। खेत में पानी का स्तर 10-15 सेंटीमीटर तक रखना चाहिए। ज्यादा गहरा पानी मछलियों के लिए नुकसानदायक हो सकता है। खेत में पानी के अंदर और बाहर निकालने के लिए नाली बनाएं। मानसून के दौरान बारिश का पानी खेत में आ सकता है, इसलिए जलस्तर को नियंत्रित करने के लिए अतिरिक्त पानी निकालने की व्यवस्था भी रखें।
मछली का चुनाव: धान के खेतों में सभी तरह की मछलियां नहीं पाली जा सकती हैं। ऐसी मछलियों का चुनाव करें जो कम ऑक्सीजन वाले पानी में रह सकें। भारत में धान-मछली खेती के लिए कुछ उपयुक्त मछलियां हैं:
मगुर मछली (Catla Fish): यह एक तेजी से बढ़ने वाली मछली है और कम ऑक्सीजन वाले पानी में रह सकती है।
कॉमन कार्प मछली (Common Carp Fish): यह भी कम ऑक्सीजन वाले पानी में रहने वाली मछली है।
सिल्वर कार्प मछली (Silver Carp Fish): यह खेत में उपजने वाले कुछ खरपतवारों को खाकर उनकी मात्रा को नियंत्रित करती है। स्थानीय मत्स्य विभाग या कृषि विज्ञान केंद्र से सलाह लेकर आपके क्षेत्र के लिए सबसे उपयुक्त मछली का चुनाव कर सकते हैं।
मछली पालन का घनत्व: खेत के आकार और पानी की मात्रा के हिसाब से ही मछली का पालन करना चाहिए। आमतौर पर, एक हेक्टेयर खेत में 2000 से 3000 तक फिंगरलिंग मछलियों (fingerlings) को छोड़ा जा सकता है।
मछली का बीज (Seed - अंडे): अच्छी गुणवत्ता का मछली का बीज (अंडे) सरकारी मछली पालन केंद्रों या प्राइवेट हैचरी से खरीदा जा सकता है। बीज खरीदते समय स्वस्थ और रोगमुक्त मछली के बीज का ही चुनाव करें।
मछली का आहार: खेत में प्राकृतिक रूप से कुछ कीड़े-मकोड़े और जलीय पौधे मिल जाते हैं, जिनको मछलियां खा लेती हैं। आप अतिरिक्त पोषण के लिए चावल की खोई, सोयाबीन खली या सरसों की खली का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। भोजन की मात्रा मछलियों के आकार और उनकी संख्या के हिसाब से तय करें। ज्यादा आहार देने से पानी खराब हो सकता है।
मछली पालन का प्रबंधन: धान-मछली खेती में मछली पालन का भी ध्यान रखना जरूरी है। समय-समय पर मछलियों के विकास पर नजर रखें। बीमार या मरी हुई मछलियों को तुरंत निकाल दें।
धान की कटाई और मछली का संग्रहण: धान की कटाई से पहले खेत में पानी का स्तर कम कर दें। इसके बाद मछली पकड़ने के लिए जाल का इस्तेमाल करें।
धान-मछली खेती में सावधानियां
धान-मछली खेती करते समय निम्नलिखित सावधानियां बरतनी चाहिए:
खेत में रासायनिक खादों का कम से कम इस्तेमाल करें। रासायनिक खाद मछलियों के लिए हानिकारक हो सकते हैं।
खेत में कीटनाशकों का छिड़काव करते समय सावधानी बरतें। छिड़काव से पहले कुछ दिनों के लिए खेत में पानी का स्तर कम कर दें।
मानसून के दौरान जलस्तर पर ध्यान दें और जरूरत पड़ने पर अतिरिक्त पानी निकालने की व्यवस्था रखें।
धान-मछली खेती पारंपरिक धान की खेती का एक उन्नत रूप है। इससे किसान कम लागत में ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं। यह खेती करने का एक पर्यावरण अनुकूल तरीका भी है, जिसमें पानी और जमीन का सदुपयोग होता है।
यदि आप धान की खेती करते हैं, तो धान-मछली खेती को अपनाकर अपनी आय को बढ़ा सकते हैं। सरकारी कृषि विभाग या कृषि विज्ञान केंद्रों से इस बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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